Saturday 28 November 2020

नवयुग कन्या महाविद्यालय के संस्कृत विभाग द्वारा आनलाइन व्याख्यान माला के अन्तर्गत दिनांक 28.11.20 को प्रो बनमाली विश्वाल आचार्य एवं व्याकरण विभागाध्यक्ष केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, देवप्रयाग, उत्तराखण्ड द्वारा *आधुनिक संस्कृत गद्य साहित्य* विषय पर विचार व्यक्त किये

 नवयुग कन्या महाविद्यालय के संस्कृत विभाग द्वारा आनलाइन व्याख्यान माला के अन्तर्गत दिनांक 28.11.20 को प्रो बनमाली विश्वाल आचार्य एवं व्याकरण विभागाध्यक्ष केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, देवप्रयाग, उत्तराखण्ड द्वारा *आधुनिक संस्कृत गद्य साहित्य* विषय पर विचार व्यक्त किये. उन्होंने बताया कि आज आधुनिक संस्कृत गद्य साहित्य का रूप बदल  रहा है. नये लेखक, नयी रचनाएँ रच रहें हैं. संस्कृत साहित्य में गद्य, पद्य और नाट्य साहित्य में विभिन्न रचनाएँ हैं. ललित कथा, आत्मकथा, में भी लिखा जा रहा है. लघु नाटक, रेडियो नाटक, नुक्कड़ नाटक, मौलिक उपन्यास और लघुकथा भी आधुनिक संस्कृत साहित्य मे स्थान बना रहे हैं.

उन्होंने गद्यं कवीनां निकषं वदन्ति का उल्लेख करते हुए कहा कि गद्य  में लेखनी चलाने वाले लेखक आज भी कम हैं. आधुनिक गद्य साहित्य के दर्शन हमें भरतमुनि के नाट्यशास्त्र में मिलते हैं. आचार्य विश्वनाथ ने भी कथा और आख्यायिका का उल्लेख किया है. दंडी , हेमचंद्र, वाणभट्ट ने इसे आगे बढाया.

आज संस्कृत भाषा अलंकारों से बाहर आ गयी है और व्याकरण के भार से रहित है. आधुनिक संस्कृत गद्य साहित्य में विषय वस्तु में भाषा पाठकों के बीच व्यवधान नहीं करती, लेखक व्यवहारिक भाषा का प्रयोग कर रहे हैं. आज संस्कृत भाषा का सबसे बड़ा गुण उसकी सरलता है. भाषा की सर्वग्राह्यता पर विशेष बल दिया जा रहा है. शब्द शक्ति पर भी ध्यान दिया जा रहा है. बाल की खाल निकालने से लोग बच रहे हैं जिससे संस्कृत आज सर्व सुलभ होती जा रही है.इस अवसर पर उन्होंने कथासरित पत्रिका का भी उल्लेख किया.

इस अवसर पर विभाग की अध्यक्ष डा रीता तिवारी, प्राचार्य डा सृष्टि श्रीवास्तव डा अंजुला सिंह, डा अपूर्वा अवस्थी, प्रीति वर्मा, सर्वेश कुमार पांडा ओडिशा से डा.हरिश्चंद्र होता आदिएवं सभी छात्राएं उपस्थित रहीं.

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