Saturday 28 November 2020

उत्तराखंड संस्कृत अकादमी के द्वारा आयोजित जनपद चमोली की संस्कृत संगोष्ठी कालिदास जयंती के उपलक्ष्य पर बेबीनार

उत्तराखंड संस्कृत अकादमी के द्वारा आयोजित

Posted by: आंखें क्राइम पर  12 hours ago 83 Views


चमोली से केशर सिंह नेगी की रिपोर्ट

उत्तराखंड संस्कृत अकादमी के द्वारा आयोजित जनपद चमोली की संस्कृत संगोष्ठी कालिदास जयंती के उपलक्ष्य पर बेबीनार के माध्यम से सम्पन्न हुई जिसमें जनपद संयोजक राजेन्द्र प्रसाद नौटियाल प्रवक्ता राजकीय इंटर कॉलेज आलकोट के द्वारा संचालन किया गया संगोष्ठि में कालिदास की रचनाओं में अखंड भारत का स्वरूप विषय पर विद्वानों द्वारा विस्तृत चर्चा की गई संगोष्टी में अकादमी से श्री हरीश गुरु रानी जी मुख्य वक्ता प्रो0 बनमाली विश्वाल जी सह वक्ता डॉ0 मनीष जुगरान जी मुख्य अथिति श्री शिव प्रसाद खाली जी निदेशक संस्कृत शिक्षा डॉ0शैलेन्द्र उनियाल जी श्री गिरीश तिवारी जी प्रो0 रविन्द्र कुमार पंडा जी श्री दसरथ कंडवाल जी दिनेश नौटियाल जी श्री ऋषि राम बहुगुणा जी केशव विजलवां जी श्री जगदम्बा प्रसाद भट्ट जी श्री विजय पाल सिंह रावत जी श्री संजय जोशी जी श्री चन्द्र कांत सिंह रावत जी श्री धन्वंतरि कंडवाल जी श्री यशपाल बिष्ट जी श्री नीरज चौहान जी आदि विद्वानों ने संस्कृत के संरक्षण और कालिदास की रचनाओ पर अपने अपने विचार व्यक्त किए भले अभी उत्तराखंड राज्य में संस्कृत भाषा को द्वितीय राजभाषा का दर्जा मिला है लेकिन जब तक संस्कृत 12 तक अनिवार्य विषय के रूप में विद्यालयों में पठन पाठन नही होता तब तक संस्कृत का विकास होना संभव नही होगा 


उत्तराखंड संस्कृत अकादमी के द्वारा आयोजित जनपद चमोली की संस्कृत संगोष्ठी कालिदास जयंती के उपलक्ष्य पर बेबीनार

उत्तराखंड संस्कृत अकादमी के द्वारा आयोजित

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चमोली से केशर सिंह नेगी की रिपोर्ट

उत्तराखंड संस्कृत अकादमी के द्वारा आयोजित जनपद चमोली की संस्कृत संगोष्ठी कालिदास जयंती के उपलक्ष्य पर बेबीनार के माध्यम से सम्पन्न हुई जिसमें जनपद संयोजक राजेन्द्र प्रसाद नौटियाल प्रवक्ता राजकीय इंटर कॉलेज आलकोट के द्वारा संचालन किया गया संगोष्ठि में कालिदास की रचनाओं में अखंड भारत का स्वरूप विषय पर विद्वानों द्वारा विस्तृत चर्चा की गई संगोष्टी में अकादमी से श्री हरीश गुरु रानी जी मुख्य वक्ता प्रो0 बनमाली विश्वाल जी सह वक्ता डॉ0 मनीष जुगरान जी मुख्य अथिति श्री शिव प्रसाद खाली जी निदेशक संस्कृत शिक्षा डॉ0शैलेन्द्र उनियाल जी श्री गिरीश तिवारी जी प्रो0 रविन्द्र कुमार पंडा जी श्री दसरथ कंडवाल जी दिनेश नौटियाल जी श्री ऋषि राम बहुगुणा जी केशव विजलवां जी श्री जगदम्बा प्रसाद भट्ट जी श्री विजय पाल सिंह रावत जी श्री संजय जोशी जी श्री चन्द्र कांत सिंह रावत जी श्री धन्वंतरि कंडवाल जी श्री यशपाल बिष्ट जी श्री नीरज चौहान जी आदि विद्वानों ने संस्कृत के संरक्षण और कालिदास की रचनाओ पर अपने अपने विचार व्यक्त किए भले अभी उत्तराखंड राज्य में संस्कृत भाषा को द्वितीय राजभाषा का दर्जा मिला है लेकिन जब तक संस्कृत 12 तक अनिवार्य विषय के रूप में विद्यालयों में पठन पाठन नही होता तब तक संस्कृत का विकास होना संभव नही होगा 


नवयुग कन्या महाविद्यालय के संस्कृत विभाग द्वारा आनलाइन व्याख्यान माला के अन्तर्गत दिनांक 28.11.20 को प्रो बनमाली विश्वाल आचार्य एवं व्याकरण विभागाध्यक्ष केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, देवप्रयाग, उत्तराखण्ड द्वारा *आधुनिक संस्कृत गद्य साहित्य* विषय पर विचार व्यक्त किये

 नवयुग कन्या महाविद्यालय के संस्कृत विभाग द्वारा आनलाइन व्याख्यान माला के अन्तर्गत दिनांक 28.11.20 को प्रो बनमाली विश्वाल आचार्य एवं व्याकरण विभागाध्यक्ष केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, देवप्रयाग, उत्तराखण्ड द्वारा *आधुनिक संस्कृत गद्य साहित्य* विषय पर विचार व्यक्त किये. उन्होंने बताया कि आज आधुनिक संस्कृत गद्य साहित्य का रूप बदल  रहा है. नये लेखक, नयी रचनाएँ रच रहें हैं. संस्कृत साहित्य में गद्य, पद्य और नाट्य साहित्य में विभिन्न रचनाएँ हैं. ललित कथा, आत्मकथा, में भी लिखा जा रहा है. लघु नाटक, रेडियो नाटक, नुक्कड़ नाटक, मौलिक उपन्यास और लघुकथा भी आधुनिक संस्कृत साहित्य मे स्थान बना रहे हैं.

उन्होंने गद्यं कवीनां निकषं वदन्ति का उल्लेख करते हुए कहा कि गद्य  में लेखनी चलाने वाले लेखक आज भी कम हैं. आधुनिक गद्य साहित्य के दर्शन हमें भरतमुनि के नाट्यशास्त्र में मिलते हैं. आचार्य विश्वनाथ ने भी कथा और आख्यायिका का उल्लेख किया है. दंडी , हेमचंद्र, वाणभट्ट ने इसे आगे बढाया.

आज संस्कृत भाषा अलंकारों से बाहर आ गयी है और व्याकरण के भार से रहित है. आधुनिक संस्कृत गद्य साहित्य में विषय वस्तु में भाषा पाठकों के बीच व्यवधान नहीं करती, लेखक व्यवहारिक भाषा का प्रयोग कर रहे हैं. आज संस्कृत भाषा का सबसे बड़ा गुण उसकी सरलता है. भाषा की सर्वग्राह्यता पर विशेष बल दिया जा रहा है. शब्द शक्ति पर भी ध्यान दिया जा रहा है. बाल की खाल निकालने से लोग बच रहे हैं जिससे संस्कृत आज सर्व सुलभ होती जा रही है.इस अवसर पर उन्होंने कथासरित पत्रिका का भी उल्लेख किया.

इस अवसर पर विभाग की अध्यक्ष डा रीता तिवारी, प्राचार्य डा सृष्टि श्रीवास्तव डा अंजुला सिंह, डा अपूर्वा अवस्थी, प्रीति वर्मा, सर्वेश कुमार पांडा ओडिशा से डा.हरिश्चंद्र होता आदिएवं सभी छात्राएं उपस्थित रहीं.

नवयुग कन्या महाविद्यालय के संस्कृत विभाग द्वारा आनलाइन व्याख्यान माला के अन्तर्गत दिनांक 28.11.20 को प्रो बनमाली विश्वाल आचार्य एवं व्याकरण विभागाध्यक्ष केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, देवप्रयाग, उत्तराखण्ड द्वारा *आधुनिक संस्कृत गद्य साहित्य* विषय पर विचार व्यक्त किये

 नवयुग कन्या महाविद्यालय के संस्कृत विभाग द्वारा आनलाइन व्याख्यान माला के अन्तर्गत दिनांक 28.11.20 को प्रो बनमाली विश्वाल आचार्य एवं व्याकरण विभागाध्यक्ष केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, देवप्रयाग, उत्तराखण्ड द्वारा *आधुनिक संस्कृत गद्य साहित्य* विषय पर विचार व्यक्त किये. उन्होंने बताया कि आज आधुनिक संस्कृत गद्य साहित्य का रूप बदल  रहा है. नये लेखक, नयी रचनाएँ रच रहें हैं. संस्कृत साहित्य में गद्य, पद्य और नाट्य साहित्य में विभिन्न रचनाएँ हैं. ललित कथा, आत्मकथा, में भी लिखा जा रहा है. लघु नाटक, रेडियो नाटक, नुक्कड़ नाटक, मौलिक उपन्यास और लघुकथा भी आधुनिक संस्कृत साहित्य मे स्थान बना रहे हैं.

उन्होंने गद्यं कवीनां निकषं वदन्ति का उल्लेख करते हुए कहा कि गद्य  में लेखनी चलाने वाले लेखक आज भी कम हैं. आधुनिक गद्य साहित्य के दर्शन हमें भरतमुनि के नाट्यशास्त्र में मिलते हैं. आचार्य विश्वनाथ ने भी कथा और आख्यायिका का उल्लेख किया है. दंडी , हेमचंद्र, वाणभट्ट ने इसे आगे बढाया.

आज संस्कृत भाषा अलंकारों से बाहर आ गयी है और व्याकरण के भार से रहित है. आधुनिक संस्कृत गद्य साहित्य में विषय वस्तु में भाषा पाठकों के बीच व्यवधान नहीं करती, लेखक व्यवहारिक भाषा का प्रयोग कर रहे हैं. आज संस्कृत भाषा का सबसे बड़ा गुण उसकी सरलता है. भाषा की सर्वग्राह्यता पर विशेष बल दिया जा रहा है. शब्द शक्ति पर भी ध्यान दिया जा रहा है. बाल की खाल निकालने से लोग बच रहे हैं जिससे संस्कृत आज सर्व सुलभ होती जा रही है.इस अवसर पर उन्होंने कथासरित पत्रिका का भी उल्लेख किया.

इस अवसर पर विभाग की अध्यक्ष डा रीता तिवारी, प्राचार्य डा सृष्टि श्रीवास्तव डा अंजुला सिंह, डा अपूर्वा अवस्थी, प्रीति वर्मा, सर्वेश कुमार पांडा ओडिशा से डा.हरिश्चंद्र होता आदिएवं सभी छात्राएं उपस्थित रहीं.